The Unadorned

My literary blog to keep track of my creative moods with poems n short stories, book reviews n humorous prose, travelogues n photography, reflections n translations, both in English n Hindi.

Tuesday, September 13, 2016

Hindi Poem: कुछ मुकम्मल सा....



कुछ मुकम्मल सा...
===========

कहा न !

आप खुश हो नहीं सकते

बगैर इजाज़त के मेरी 

यह फरमान है मेरा, समझे ?

मियां ! क्या ख़बर ?

बहुत खुश लगते हो, सुबह-सुबह

ज़रा मुझे भी तो पता चले !

रख कर रूमाल मूंह पर, रात में

सोना अब ज़रूरी हो गया

क्या पता, सपनों में बवाल मच जायेंगे?

आजकल वे लोग ख़ामोश होना पसंद नहीं करते

बड़े जोशीले हैं वे

आते हैं ख़ामोशी से सज-धज कर

पर आ कर शोरगुल मचा देते हैं ।

डायरी मेरी बिलकुल कोरी है

उसमें जो गुलाब पंखुडियों से बने निशान

अब मैं उनका क्या करूं ?

कुछ गलती तो नहीं हुई ?

अक्सर चिंतित हूँ मैं  

सपने गुज़र जाने के बाद...

घर्राट बन कर घूमते जाना धरम है मेरा

क्या फर्क पड़ता है

कूल से पानी सूख जाये फिर भी...

क्या फर्क पड़ता सूखी बावड़ी में

मोतियों के बगैर अब

बेजान सीप ही सोया है ?  

अच्छा होता अगर

मैं द्विखंडित हो जाता

मैं और मेरा ऑल्टर ईगो

मैं कहीं भी जाऊं कम से कम

मैं तो यहाँ भी मौजूद रहता !

जैसे आसमान में चाँद

फिर भी मेरे प्याले में भी

चांद का यहाँ घूमना नि:संकोच

थोड़े न पता चलता होगा

उन चमकते हुए सितारों को ?   
____________________________
By
A. N. Nanda
New Delhi
13-09-2016
___________________________

Labels:

13 Comments:

Anonymous Rajeshwari Gautam said...

Bahut khubsurat Nazm hai,Sir...aapki Hindi..angrezi nazmon ki tarah..log dusron ki khushi mein kis tarah ghuspaith karne ki koshish karte hain...aur ek shayar kaise apni khushi ko bachane ke liye Nazar bacha kar chalta hai... Bahut bahut khoob... Aadab,janab...Sir!

12:59 AM  
Blogger Jai Krishna Rajak said...

बहुत खूब सर।

2:17 AM  
Blogger The Unadorned said...

धन्यवाद राजेश्वरी जी । आपने कविता के अन्दर प्रच्छन्न भाव का विश्लेषण बड़ी कुशलता से की है । वास्तव में, कवि को अपनी कविता का अर्थ जानने हेतु कभी किसीकी मदद की आवश्यकता होती है तो उसे पाठक के पास जाना चाहिए । आपका प्रोत्साहन मेरे लिए बहुमूल्य है ।

6:28 AM  
Blogger The Unadorned said...

धन्यवाद जय कृष्ण जी । ब्लॉग में आपका पुन: स्वागत है ।

6:31 AM  
Blogger Unknown said...

आदरणीय सर,बहुत शानदार।

7:29 AM  
Blogger The Unadorned said...

शुक्रिया शंकर प्रसाद जी ।

5:13 AM  
Anonymous Saniya Patel said...

Nice Poem Sir g.

11:26 PM  
Blogger Unknown said...


अच्छा होता अगर

मैं द्विखंडित हो जाता

मैं और मेरा ऑल्टर ईगो

मैं कहीं भी जाऊं कम से कम

मैं तो यहाँ भी मौजूद रहता !
I was just searching the name and found a poet with full of heart and meaningful lines. Wow !

4:45 AM  
Blogger Unknown said...

Just searched the name and found a poet with full of heart and meaningful lines.
अच्छा होता अगर

मैं द्विखंडित हो जाता

मैं और मेरा ऑल्टर ईगो

मैं कहीं भी जाऊं कम से कम

मैं तो यहाँ भी मौजूद रहता !Great meaningful lines.

4:46 AM  
Blogger मनोज अबोध said...

बहुत सुंदर कविता है सर जी ।
साहित्य जगत को सुंदर रचना प्रदान करने के लिए साधुवाद !!!!

5:06 AM  
Blogger मनोज अबोध said...

बहुत सुंदर कविता है। साहित्य जगत को सुंदर रचना प्रदान करने के लिए साधुवाद

5:08 AM  
Anonymous Anonymous said...

it is very nice poem.
S.M.Shukla Ex SRM K Diision

7:40 AM  
Anonymous Anonymous said...

very nice poetry...

6:22 PM  

Post a Comment

<< Home