The Unadorned

My literary blog to keep track of my creative moods with poems n short stories, book reviews n humorous prose, travelogues n photography, reflections n translations, both in English n Hindi.

Wednesday, September 30, 2015

कल रात



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कल रात जो खुशबू
मेरी बगल गुजर गयी
वह नरगिस की ही थी,
निसंदेह, वह स्वयं नरगिस ही होगी
फिर पता नहीं   
उसे पहचानने में आखिर गलती हो क्यों गई ?

कल रात अचानक ख्याल आया
अपने घर की सफाई कर लूँ
फ़ेंक दूँ सारे धूलि धूसरित स्मृति चिन्ह   
ताकि मेरी वजह से पड़ोसन को बुखार न लगे
और साफ़ करने लग गया, झाड़-खंगाल कर
अब अलमारी के हर ताक पर है
सन्नाटे की सिसकी ।

एक ऐसी अजब सी रात थी कल
मन के नीली आसमान में इन्द्रधनुस का 
आविर्भाव अचानक हुआ
जागते हुए भी मुझे सपने दिखाई पड़े
ख्याल आया, इन्द्रधनुस भूला देने की चीज़ नहीं    
रुक-रुक कर, दिन हो या रात, आखिरी लमहे तक
रूह में रंग भरने की ताक़त रखता है वह ।

कल रात मुझे पता चला
ब्लैक एंड वाइट एल्बम में
असली खूबसूरती छुपी है
और छुपा है अजब सा एक आकर्षण
ज़माना बीत गया फिर भी
हर किसीकी मुस्कुराहट अब भी ताज़गी बिखेरती है
सफ़ेद मस्तक में है बर्फानी चमक 
और पारदर्शी आँखों में सरलता की भाषा
असली सुन्दरता वही है
जहाँ काला, सफ़ेद होने से बचता है
उसका सीमांकन करता है
उसको वजूद देता है
सफ़ेद और काला, दोनों मिलकर रहते हैं
शांतिपूर्वक, रंगों की घिनौनी बगावत से कोसों दूर ।

और यह भी मुझे पता चला कल रात
पुरानी किताबों में एक नई कहानी मौजूद है
वर्षों  बाद मैं उसको पढ़ना चाहता हूँ
कोई शिकायत नहीं मुझे कि स्टाइल बदल चूका है
कहानी तो कहानी हैं, किसी दिल का टूकड़ा है
दिल को दिल से जोड़ने का काम करता है
बखूबी करता है, रात में ही खिलता है ।

प्यासे मन को पानी चाहिए था
मिटटी के धड़े में तैरता हुआ मोगरा
खुशबूदार, अब भी ताज़ा था
किसी लावन्यमयी की बेणी से उतर कर
मेरी बाट जोहता था
और पानी पीने के आड़ में
मैंने मोगरे का और मोगरे ने मेरा
सानिध्य अंगीकार किया
वह भी एक लमहा था ।        

कल रात बिलकुल खासी थी
भूला देने की रात नहीं थी ।
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By
A N Nanda
Trivandrum
01-10-2015
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11 Comments:

Anonymous Anonymous said...

आदरणीय ए न नन्द सर
बहुत सुन्दर त्वरित भाव

10:54 PM  
Anonymous Anonymous said...

Very lucid style.who is she?

7:44 AM  
Blogger The Unadorned said...

Happy that you enjoyed reading. And in order to answer who's she I have to switch genre, from poetry to prose, ehich I should not do risking my poetic ability. :-)

10:32 AM  
Anonymous Rajeshwari Gautam said...

Sir, Very intense poem as if you have lived every word of it.It can only be felt, unable to express .....With regards, respected sir.

12:43 AM  
Blogger The Unadorned said...

शुक्रिया राजेश्वरी जी । आपने कविता के अन्दर झांक कर जिस निपुणता से उसका मूल्याङ्कन किया है और थोड़े ही शब्दों में जिस प्रकार उसका निचोड़ रख दिया, वह काबिल-ए-तारीफ है । कविता में शब्दों में जान डालने की कोशिश में कभी-कभी असंगत उपमाओं को शामिल करना होता है, पर वही कविता खुद कवि को भी अच्छी लगती है जिसे लिखने हेतु कवि को सबसे कम दिमाग दौड़ना पड़ता हो । इस कविता में मेरा अनुभव कुछ ऐसा ही रहा । और मैं प्रसन्न हूँ कि उस संवेदना के साथ मैंने कुछ हद तक इन्साफ किया । नहीं तो आप जैसी कवयत्री से इस प्रकार सराहना नहीं मिलती :-) । पुनः धन्यवाद राजेश्वरी जी ।

6:43 AM  
Anonymous Niraj Kumar said...

Sir,
Lovely expression, imagery and emotions.Not an expert critic ,but as a lover of poetry, i am impressed and inspired to know about your literary output. Sir I am from 1992 Batch and currently posted in Dak Bhawan as DDG PCO/PMLA. That does not however impede my poetry and I happen to occasionally write, mostly in Hindi, sometimes in English. Again, it was a privilege to experience your poetry.
regards
Niraj Kumar

7:14 AM  
Blogger The Unadorned said...

Thanks a lot Niraj. I'm happy that my effort made sense to you.

10:42 PM  
Anonymous sutapa said...

I liked the way you expressed your feelings in the poem...great blog....keep penning.

7:44 AM  
Blogger Swaraj said...

Loved the poem. The silent breath of the almirah rack after cleaning, the fragrant Mogra floating on water in the earthen pot transport the reader to the black and white age of lingering memories! A beautiful poem sweetly woven.. Regards.

6:42 AM  
Blogger The Unadorned said...

Thanks a lot Swaraj. Pleasantly surprised to find you in my blog, appreciating my effort so earnestly! It is quite reassuring, to say the least. With you people encouraging me so positively, the sooner I return the better it is for me and my muse.

10:43 AM  
Blogger Break the silence...! said...

Wow... quite deep and somber 🌺

10:07 AM  

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