कल रात
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कल रात जो खुशबू
मेरी बगल गुजर गयी
वह नरगिस की ही थी,
निसंदेह, वह स्वयं नरगिस ही होगी
फिर पता नहीं
उसे पहचानने में आखिर गलती हो क्यों गई ?
कल रात अचानक ख्याल आया
अपने घर की सफाई कर लूँ
फ़ेंक दूँ सारे धूलि धूसरित स्मृति चिन्ह
ताकि मेरी वजह से पड़ोसन को बुखार न लगे
और साफ़ करने लग गया, झाड़-खंगाल कर
अब अलमारी के हर ताक पर है
सन्नाटे की सिसकी ।
एक ऐसी अजब सी रात थी कल
मन के नीली आसमान में इन्द्रधनुस का
आविर्भाव अचानक हुआ
जागते हुए भी मुझे सपने दिखाई पड़े
ख्याल आया, इन्द्रधनुस भूला देने की चीज़ नहीं
रुक-रुक कर, दिन हो या रात, आखिरी लमहे तक
रूह में रंग भरने की ताक़त रखता है वह ।
कल रात मुझे पता चला
ब्लैक एंड वाइट एल्बम में
असली खूबसूरती छुपी है
और छुपा है अजब सा एक आकर्षण
ज़माना बीत गया फिर भी
हर किसीकी मुस्कुराहट अब भी ताज़गी बिखेरती है
सफ़ेद मस्तक में है बर्फानी चमक
और पारदर्शी आँखों में सरलता की भाषा
असली सुन्दरता वही है
जहाँ काला, सफ़ेद होने से बचता है
उसका सीमांकन करता है
उसको वजूद देता है
सफ़ेद और काला, दोनों मिलकर रहते हैं
शांतिपूर्वक, रंगों की घिनौनी बगावत से कोसों दूर ।
और यह भी मुझे पता चला कल रात
पुरानी किताबों में एक नई कहानी मौजूद है
वर्षों बाद मैं उसको पढ़ना चाहता हूँ
कोई शिकायत नहीं मुझे कि स्टाइल बदल चूका है
कहानी तो कहानी हैं, किसी दिल का टूकड़ा है
दिल को दिल से जोड़ने का काम करता है
बखूबी करता है, रात में ही खिलता है ।
प्यासे मन को पानी चाहिए था
मिटटी के धड़े में तैरता हुआ मोगरा
खुशबूदार, अब भी ताज़ा था
किसी लावन्यमयी की बेणी से उतर कर
मेरी बाट जोहता था
और पानी पीने के आड़ में
मैंने मोगरे का और मोगरे ने मेरा
सानिध्य अंगीकार किया
वह भी एक लमहा था ।
कल रात बिलकुल खासी थी
भूला देने की रात नहीं थी ।
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By
A N Nanda
Trivandrum
01-10-2015
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Labels: Hindi Poems, Muse